कुलधरा गांव का इतिहास। kuldhara village story in Hindi

कुलधरा गांव का इतिहास। kuldhara village story in Hindi

Kuldhara village history in Hindi

कुलधरा गांव की कहानी(कुलधरा गांव का रहस्य)। Kuldhara village history in Hindi


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19वीं सदी से वीरान राजस्थान का कुलधरा गांव जैसलमेर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 

वर्तमान में आपको कुलधरा गांव में सैकड़ों बलुआ पत्थरों से निर्मित जीर्णशीर्ण इमारतें तथा खंडहर देखने को मिलेंगे।

लोगों की मान्यता के अनुसार कुलधरा गांव एक शापित गांव है। जब पालीवाल समाज के लोगों ने इस गांव का परित्याग किया था तो उन्होंने जाने से पहले यह श्राप दिया था कि अगर हम इस जगह पर शांतिपूर्वक नहीं रह पाए तो कोई अन्य भी यहां नहीं रह पाएगा।

Kuldhara village story in Hindi

कुलधरा गांव का इतिहास

Kuldhara village history in Hindi


13 वी शताब्दी के प्रारंभ में कुलधरा गांव की स्थापना पालीवाल ब्राह्मणों के द्वारा की गई थी। 

इतिहास के साक्ष्यों को देखें तो कुलधरा गांव एक समृद्ध और सुसंपन्न गांव हुआ करता था तथा यहां लगभग 400 घरों में 1500 लोग निवास करते थे। राजस्थान के इस रहस्यमयी गांव में पिछले 195 सालों से कोई नहीं रहता है।

स्थानीय प्रशासन ने वर्तमान में इस गांव की सरहद पर एक गेट बना दिया है। दिन के समय पर्यटक इसके अंदर जाकर कुलधरा गांव में घूम सकते हैं परंतु शाम 6 बजे के बाद इस गेट को बंद कर दिया जाता है और किसी को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं दी जाती है।

सन् 1825 में कुलधरा के साथ-साथ आसपास के लगभग 83 गांव के लोगों ने अचानक रात में इन सभी गांवों का परित्याग कर दिया था। उस दिन के बाद से कुलधरा के पालीवाल समुदाय का कुछ पता नहीं चल सका। अचानक से बिना किसी प्राकृतिक आपदा के पंद्रह सौ लोगों के द्वारा गांवों को खाली करना बहुत ही आश्चर्यजनक है।

कुलधरा गांव एक बहुत ही विकसित गांव हुआ करता था।

मेहनती और कुशल समझे जाने वाले पालीवाल समुदाय ने 1291 में इस गांव को बसाया था। कुलधरा गांव का निर्माण पूरी तरह वैज्ञानिक आधार पर किया गया था।

क्योंकि राजस्थान के रेगिस्तानो में बहुत गर्मी होती है इसी कारण उस समय कुलधारा गांव को बसाने वाले लोगों ने अपने घर में हवा का प्रवाह बनाए रखने के लिए वेंटिलेशन की समुचित व्यवस्था की थी। आप कुलधरा गांव जाकर घरों का निरीक्षण करेंगे तो आप देख पाएंगे के यहां प्रत्येक घर में बहुत सी खिड़कियां और दरवाजे बने हुए हैं और लगभग 45 डिग्री के तापमान में भी आप यहां के वीरान पड़े घरों में शीतलता का अनुभव करेंगे।

यहां मौजूद घरों में मौजूद झरोखों की स्थिति कुछ इस प्रकार रखी गई थी कि वह आस-पास वाले घरों के झरोखों के बिल्कुल सामने थे जिससे यह प्रतीत होता है कि इन झरोखों को घर के बाहर निकले बिना ही आसपास के घरों के लोगों से बातचीत करने के लिए बनाया गया होगा।

घरों के अंदर बने कुंड और सीढ़ियों का निर्माण बहुत ही अच्छे तरीके से किया गया था।

पालीवाल ब्राह्मण समुदाय उद्यमी समुदाय था तथा इन्होंने अपनी कुशलता से कुलधरा गांव को एक विकसित गांव बना दिया था।

पालीवाल ब्राह्मण समुदाय मुख्य रूप से कृषि उत्पादन और पशुपालन पर निर्भर था।

कुलधरा गांव जिप्सम चट्टान पर बसा हुआ है जिसमें कि 20 प्रतिशत पानी होता है। कुलधरा गांव के लोग इस जमीन की इसी विशेषता के कारण थार मरुस्थल के गर्म और शुष्क मौसम में भी खेती कर पाए।

12वीं और 13वीं सदी के मध्य कोई जिप्सम रॉक वाली जमीन को पहचान कर उस पर खेती करना शुरू कर दे यह बात अभी भी भू वैज्ञानिको और इतिहासकारों को अचंभित कर देती है।

दरअसल जिस भूमि के नीचे जिप्सम रॉक की परत होती है वहां बारिश का पानी या अन्य जल स्त्रोत का पानी जमीन में अवशोषित नहीं होता है। इस प्रकार पालीवाल समुदाय खेती की बहुत अच्छी उपज पैदा कर लेते थे।

पुरातत्व विभाग के अध्ययन में यह बात सामने आई है कि जब यह गांव बसाया गया था तब रेत के नीचे कुछ गहराई में ऐसी संरचना बनाई गई थी जिससे बारिश का पानी रेत में गुम होने के बजाय एक खास गहराई पर एकत्रित हो जाता था।

कुलधरा गांव के वीरान होने की कहानी

The story of the abandoned Kuldhara village


विश्व इतिहास में जब भी कोई जगह एकदम से वीरान हुई है तो उसके पीछे कुछ कारण होते है जैसे प्राकृतिक आपदा, आजीविका के साधन खत्म होना, महामारी आदि।

परंतु कुलधरा गांव के एकदम से वीरान होने के पीछे इतिहास में इनमें से कोई भी कारण नहीं मिलता है।

अगर यह सब कारण नहीं थे तो फिर अवश्य ही कोई बड़ी बात हुई होगी जिस कारण से कुलधरा गांव के साथ-साथ 83 अन्य गांव वीरान हो गए।

लोक मान्यता और पीढ़ी दर पीढ़ी बताई जाने वाली बातें ही इस रहस्य को जानने का एकमात्र तरीका है।

ऐसा कहा जाता है कि कुलधरा गांव का एक दीवान था जिसका नाम सालम सिंह था। सालम सिंह को कुलधरा गांव में रहने वाली एक लड़की अत्यधिक पसंद आ गई। सालम सिंह किसी भी हाल में उस लड़की से विवाह करना चाहता था और इसके लिए उसने ब्राह्मणों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया था।

परंतु जब लोग उस दीवान की बात से सहमत नहीं हुए तो उसने गांव के लोगों को धमकी दी कि अगर कुछ दिनों में मेरा विवाह उस लड़की से नहीं हुआ तो इस गांव में जितनी भी खेती की उपज होती है उस पर इतना अधिक टैक्स लगा दूंगा कि कोई भी उसे चुका पाने में समर्थ नहीं होगा।

कुलधरा गांव के लोगों लिए यह मुश्किल वक्त था उनके पास दो रास्ते थे या तो अपनी बेटी को बचाए या गांव को।

इस कठिन परिस्थिति पर निर्णय लेने के लिए कुलधरा गांव के साथ लगने वाले अन्य 83 गांव के लोगों ने एक बैठक की और यह निर्णय लिया कि किसी भी परिस्थिति में गांव की बेटी को दीवान सालम सिंह को नहीं दिया जाएगा तथा सभी लोगों ने एक साथ 84 गांवो को खाली करने का निर्णय लिया और देखते ही देखते 84 गांव वीरान हो गए। 

ऐसी मान्यता है कि जाते-जाते पालीवाल ब्राह्मणों ने यह श्राप दिया कि आज के बाद इस गांव में कोई नहीं बस पाएगा।

स्थानीय लोगों के अनुसार कुछ लोगों ने इस जगह बसने की कोशिश की थी पर उनके सामने हर बार कोई ना कोई बाधा आ जाती थी और इसी कारण वे यहां नहीं बस पाए।

कुलधरा गांव के बारे में इंडियन पैरानॉर्मल सोसायटी का अध्ययन

Indian Paranormal Society study about Kuldhara village


Kuldhara ka Rahasya


मई 2013 में इंडियन पैरानॉर्मल सोसायटी के 30 एक्सपर्ट्स की टीम कुलधरा गांव गई थी तथा वहां पूरी रात गहन जांच पड़ताल की थी।

रात बिताने के बाद लोकल न्यूज़ एजेंसी को दिए गए बयान में एक्सपर्ट्स की टीम ने यह माना था कि "कुलधरा गांव में जरूर कुछ असामान्य बातें हैं। हमारी टीम के सदस्यों ने यहां विचलित करने वाली आवाजे तथा असामान्य स्पर्श का अनुभव किया है। हालांकि हमारे इस अभियान में टीम के किसी भी सदस्य को कोई चोट या हानि नहीं पहुंची है।"

सन 2016 में इंडियन पैरानॉर्मल सोसायटी के अध्यक्ष गौरव तिवारी ने गल्फ न्यूज़ को वीकेंड आर्टिकल के लिए एक इंटरव्यू दिया था जिसमें उन्होंने यह माना था कि
"कुलधरा गांव में सब कुछ सामान्य है, ऐसा मैं नहीं बोल सकता हूं। दुनिया में कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिन्हें विज्ञान भी ठीक तरीके से समझा नहीं सकता है।

इंडियन पैरानॉर्मल सोसायटी हमेशा यही कोशिश करती है कि इस तरह के रहस्यों से पर्दा उठा सके।

हम जब भी ऐसी किसी जगह पर जाते हैं तो हम अपने इक्विपमेंट से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड की तरंगे छोड़ते हैं और यह देखते हैं कि क्या कोई इसका जवाब दे रहा है। 

कुलधरा गांव में हमारे द्वारा छोड़ी गई इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों का जवाब हमें मिला था। इसके साथ साथ हमें गांव के तापमान में बहुत अधिक बदलाव देखने को मिला इसके साथ साथ हमने यहां स्टैटिक चार्जेस ( Static Charges) को भी रिकॉर्ड किया है।

इसके अलावा हमारे एक्सपर्ट्स की गाड़ियां जो पार्किंग में खड़ी हुई थी अचानक रात में उन सभी कारों पर बच्चो के हाथों के निशान देखे गए और इस घटना को उस समय मौजूद कुछ पत्रकारों ने भी देखा था।

जब हमारी टीम कुलधरा गांव में गई थी तो अपने साथ सभी तरह के आधुनिक उपकरण को ले गई थी ताकि इस रहस्य को सुलझाया जा सके जैसे-

Infrared and full spectrum cameras, REM pods,CCTVS, Motion sensors, Thermal imager, EMF meters."

दुर्भाग्य पूर्ण रूप से 2016 में जब गौरव तिवारी ने यह इंटरव्यू दिया था उसके कुछ सप्ताह बाद ही उनकी असामान्य कारणों के कारण मृत्यु हो गई थी।

इस इंटरव्यू के अंत में गौरव तिवारी ने कहा था कि कुलधरा गांव सही में एक हॉन्टेड गांव है।

कुलधरा गांव कैसे पहुंचे

How to reach kuldhara village in Hindi


कुलधरा का गांव जैसलमेर शहर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
कुलधरा गांव से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर जैसलमेर का रेलवे स्टेशन है। आप जैसलमेर स्टेशन पर पहुंच कर आसानी से कुलधरा गांव पहुंच सकते हैं इसके अलावा आप राजस्थान की राज्य परिवहन निगम की बसों के द्वारा भी इस पर्यटक स्थल पर पहुंच सकते हैं।

कुलधरा गांव के पास सबसे नजदीकी एयरपोर्ट जैसलमेर का एयरपोर्ट है जो कि यहां से लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

कुलधरा घूमने का सही समय

Best time to visit kuldhara village in Hindi

कुलधरा घूमने का सबसे सही समय अक्टूबर से मार्च के मध्य होता है।

कुलधरा घूमने का समय और एंट्री फीस

Kuldhara village entry fees and timing in Hindi


कुलधरा गांव घूमने का समय प्रातः 8:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक होता है। शाम 6:00 बजे के बाद इस गांव के मुख्य द्वार को बंद कर दिया जाता है। कुलधरा गांव का प्रवेश शुल्क प्रति व्यक्ति ₹10 है और यदि आप अपने वाहन के साथ जाते हैं तो प्रवेश शुल्क ₹50 रहता है।

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